management of cotton wilt disease
management of cotton wilt disease

भारी बारिश और मिट्टी की उच्च नमी के कारण कपास में विल्ट (उकठा रोग) होने की संभावना है। विल्ट (उकठा रोग) से प्रभावित पौधे पहले सूख जाते है और बाद में गंभीर परिस्थितियों में मर जाते है। विल्ट एक कवक के कारण होता है, इसलिए जब मिट्टी की नमी अधिक होती है तो रोग तेजी से बढ़ता है।

विल्ट (उकठा रोग) के लक्षणः

रोगग्रस्त पौधे शुरू में पूरे क्षेत्र में सूख जाते हैं। जब हम प्रभावित पौधे को उखाड़ते है और जड़ को काटते है, तो पौधे शुरू में भूरे और फिर लाल रंग में और अंत में काले रंग में बदल जाते हैं। अंततः पौधा मर जाता है, क्योंकि यह कवक द्वारा प्रभावित जड़ों के कारण पोषक तत्वों को सोख लेने में असमर्थ होता है। मिट्टी की नमी अधिक होने पर कवक तेजी से फैलता है।

नियंत्रण के उपायः

जब विल्ट का प्रादुर्भाव होता है, तो कवक एक पौधे से दूसरे में फैल जाता है। इसलिए गंभीर रूप से प्रभावित पौधों को आग में उखाड़ कर नष्ट कर देना चाहिए।

प्रभावित पौधे और आसपास के क्षेत्रों में 3-4 पंक्तियों तक भी स्वस्थ पौधों को कॉपर ऑक्सी

क्लोराइड 3 ग्राम या रिडोमिल एमजेड 2 ग्राम, या कार्बेन्डाजिम 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिला कर पौधे के जड में छिड़का जाना चाहिए, ताकि जड़ों का क्षेत्र पूरी तरह से गीला हो जाए।

उपरोक्त सिफारिश को 4 से 5 दिनों के अंतराल में विल्ट रोग की तीव्रता के आधार पर 2 से 3 बार दोहराया जाना चाहिए। स्प्रिंट या साफ 250-500 ग्राम 30 किलोग्राम यूरिया में मिलाकर पौधे से 5 सेमी की दूरी पर छिडका जा सकता है।

इस रोग से प्रभावित पौधे मिट्टी से पानी और पोषक तत्व लेने में असमर्थ होते है। अतः यूरिया 20 ग्राम प्रति लीटर पानी में या घुलनशील उर्वरक जैसे 19:19:19 @ 10 ग्राम प्रति लीटर पानी में 5 दिनों के अंतराल पर दो बार छिड़का जा सकता है।

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